जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बने भारत के 50वें CJI…राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

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नई दिल्ली : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) होंगे। राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा।

8 अक्टूबर को पूर्व CJI यूयू ललित ने कानून मंत्री किरन रिजिजू को उनके नाम की सिफारिश की थी। यूयू ललित ने SC के जजों की उपस्थिति में पर्सनली जस्टिस चंद्रचूड़ को अपने पत्र की एक कॉपी सौंपी थी।

जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें CJI थे। जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ का कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक यानी करीब 7 साल रहा। उनके रिटायरमेंट के 37 साल बाद उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ उसी पद पर नियुक्त होंगे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पिता के 2 बड़े फैसलों को SC में पलट भी चुके हैं। वे बेबाक फैसलों के लिए चर्चित हैं।

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2017-18 में पिता के दिए दो फैसले एडल्टरी लॉ और शिवकांत शुक्ला वर्सेज एडीएम जबलपुर के फैसले को पलटा था।

साल 1985 में तत्कालीन चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ की बेंच ने सौमित्र विष्णु मामले में IPC की धारा 497 को बरकरार रखा था। उस वक्त बेंच ने अपने फैसले में लिखा था- सामान्य तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि संबंध बनाने के लिए फुसलाने वाला आदमी ही है न कि महिला। 2018 में इस फैसले को पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा- एडल्टरी लॉ पितृसत्ता का संहिताबद्ध नियम है। उन्होंने कहा कि यौन स्वायत्तता को महत्व दिया जाना चाहिए।

साल 1976 में शिवकांत शुक्ला बनाम एडीएम जबलपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना था। उस बेंच में पूर्व CJI वाईवी चंद्रचूड़ भी थे। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना। इस बेंच में चंद्रचूड़ भी शामिल थे। चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में लिखा- एडीएम जबलपुर मामले में बहुमत के फैसले में गंभीर खामियां थीं। संविधान को स्वीकार करके भारत के लोगों ने अपना जीवन और निजी आजादी सरकार के समक्ष आत्मसमर्पित नहीं कर दी है।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उन्‍होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी (LLB) की। 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। मई 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया। वे सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सिटिंग जज हैं। वे सबरीमाला, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या से जुड़े मामलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं।