श्रीकृष्ण जन्मभूमि : कोर्ट ने विवादित स्थल के सर्वे का दिया आदेश, कहा- 20 जनवरी तक सौंपनी होगी रिपोर्ट

25

मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए मथुरा की कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया है। हिंदू पक्ष की अपील पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने ये आदेश दिया है।

जानकारी के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से दायर अपील पर मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई हुई। सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया।

मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने अपने आदेश में सर्वे के लिए समयसीमा भी निर्धारित की है। सिविल जज सीनियर डिवीजन ने अपने आदेश में कहा है कि सर्वे की रिपोर्ट 20 जनवरी तक कोर्ट को सौंपनी होगी। सिविल कोर्ट ने साथ ही मामले से भी जुड़े सभी पक्षों को नोटिस भी जारी की है। कोर्ट ने वादी विष्णु गुप्ता की अपील पर अमीन से भी रिपोर्ट मांगी है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित एक अन्य मामले में वादी एडवोकेट महेंद्र सिंह ने जानकारी दी है कि कोर्ट ने अमीन से तीन दिन में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। वादी विष्णु गुप्ता ने 13।37 एकड़ जमीन मुक्त कराने की मांग की है। कोर्ट के आदेश को हिंदू पक्ष अपनी जीत बता रहा है।

जानिए क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद काफी पुराना है। मथुरा का ये विवाद कुल 13।37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। गौरतलब है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10।9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है।

हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया है। हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद हाईकोर्ट भी पहुंच गया था।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर कुछ याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत को चार महीने के अंदर इस मामले में सुनवाई पूरी कर मामले को निस्तारित करने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई में तेजी आई है।