लुधियाना : पंजाब-हिमाचल और बिहार के जो लोग लीबिया में फंसे थे वह धीरे-धीरे अपने-अपने घर पहुंच गए हैं, लेकिन यदि भारत का विदेश मंत्रालय शीघ्र ही उन्हें भारत लाने का प्रयास न करता तो वहां से लोग जिंदा नहीं बल्कि उनकी लाशें ही वतन वापस आतीं। लीबिया के बेंगाजी में स्थित एलसीसी सीमेंट कंपनी को भारतीय एजेंट ने लेबर मुहैया नहीं करवाई थी बल्कि सभी को 3-3 हजार डॉलर में बेच दिया था।
लीबिया के बेंगाजी स्थित एलसीसी सीमेंट फैक्ट्री में बंधक बनाकर रखे गए पंजाबियों, हिमाचल और बिहार के लोगों को न तो खाना समय पर मिलता था और न ही पीने के लिए पानी। हालात ऐसे हो गए थे कि कई लोगों ने बीच में अपना जीवन समाप्त करने की भी कोशिश की। कंपनी में उन्हें बंधक बनाकर रखा गया था गुलामों की तरह काम लिया जाता था।
लीबिया से लौटे कपूरथला के गांव नूरपुर राजपूत के गुरप्रीत सिंह ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में ड्राइवर की नौकरी के लिए दुबई गया, लेकिन जैसे ही वह दुबई पहुंचा तो उसे उसके साथियों समेत लीबिया भेज दिया गया। लीबिया पहुंचने पर एलसीसी सीमेंट फैक्ट्री के हालात देख कर उनके पैरों के नीचे जमीन खिसक गई। वहां रहने के लिए न तो कोई ठिकाना था और न ही खाने को कुछ, फिर जैसे तैसे कर बर्तन और खाने पीने का समान लिया। कई दिनों तक बासी खाना खाया। फैक्ट्री से पैसे न मिलने पर कई दिन भूखे भी काटे।
गुरप्रीत ने बताया की उन से करीब 18 घंटे काम लिया जाता था और अगर कोई भी इस का विरोध करता तो उसके साथ मारपीट की जाती। साथियों ने भारत वापस जाने के लिए कहा तो आगे से जवाब मिला कि सभी को 3-3 हजार डॉलर में खरीदा गया है। 3-3 हजार डॉलर दो और यहां से चले जाओ। अन्यथा सारी उम्र ऐसे ही रहना पड़ेगा और काम करना पड़ेगा।
लीबिया से लौटे लोगों ने बताया कि हालात ऐसे बन गए थे नरकीय जीवन से निजात पाने के लिए बीच में कुछ साथियों ने आत्महत्या की भी कोशिश की।