लखनऊ//
सरकार की ओर से जारी विधायक निधि जिलों के सरकारी बैंक खातों में जमा है। वहीं, विधायकों की ओर से की गई संस्तुतियां समय पर स्वीकृत न होने से विधानसभा क्षेत्रों में विकास थम गया है। प्रदेश में 403 विधानसभा सदस्यों और 100 विधान परिषद सदस्यों को बीते वर्ष तक तीन-तीन करोड़ रुपये विधायक निधि दी जाती थी।
विधानसभा सदस्य की विधायक निधि शासन की ओर से उनके निर्वाचन क्षेत्र के जिले और परिषद सदस्यों की राशि उनकी ओर से घोषित नोडल जिले में दी जाती है। वित्त वर्ष 2022-23 की शुरुआत में विधायक निधि में 1 अप्रैल, 2022 को 921.35 करोड़ रुपये उपलब्ध था। इनमें से 607.90 करोड़ जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के स्तर पर और 313.45 करोड़ कार्यदायी संस्था के पास था।
प्रदेश में 17वीं विधानसभा के गठन के बाद सरकार ने विधायक निधि की पहली किस्त के रूप में प्रत्येक विधायक को 1.50 करोड़ रुपये जारी किए। ऐसे में कुल 718.50 करोड़ रुपये जिलों को जारी किए गए। वहीं, मंगलवार तक जिलों में विधायक निधि के 1629 करोड़ 59 लाख 65 हजार रुपये जमा थे।
एक सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश के विधायकों की ओर से 4,789 कार्यों की संस्तुतियां की गई हैं। इनमें से 3,751 कार्यों की स्वीकृति की गई है और 195.32 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। वहीं, पांच महीने में विधायक निधि की केवल 17.24 प्रतिशत राशि ही जारी की गई है।
भाजपा विधायकों का कहना है कि निधि की संस्तुतियों पर समय पर स्वीकृति न मिलने से विकास कार्य बाधित होते हैं। इससे जनता परेशान होती है। विधानसभा क्षेत्रों में लोग सड़क, नाली, खड़ंजा, स्कूल भवन, चिकित्सा केंद्र सहित अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के लिए विधायक निधि से कार्य की संस्तुति कराते हैं।
विधायक निधि का 1358 करोड़ 89 लाख 59 हजार रुपये पर्सनल लेजर अकाउंट (व्यक्तिगत खाता बही) में भी जमा है। इसमें से 319 करोड़ 12 लाख 38 हजार रुपये कार्यदायी संस्थाओं के पास भी है।
प्रदेश सरकार ने विधानमंडल के बजट सत्र में विधायक निधि की राशि को तीन करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये किया है। पहली किस्त के रूप में प्रत्येक विधायक के लिए 1.50 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।