बिहार : बिहार के पश्चिम चंपारण अंतर्गत वीटीआर क्षेत्र में 15 दिनों से एक आदमखोर बाघ का खौफ लोगों के बीच फैला हुआ है. किसानों के फसल सूख रहे हैं लेकिन वो घरों में कैद हैं और भूल से भी बाहर निकलने की गलती नहीं कर रहे. दरअसल, उस आदमखोर बाघ को पकड़ने रेस्क्यू टीम डेरा डाले हुई है लेकिन बाघ बेहद चतुराई से बाहर निकलता है और शिकार करके फिर गायब हो जाता है.
आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए पटना और हैदराबाद की रेस्क्यू टीम तैनात है. वन विभाग की टीम भी बाघ को पकड़ने के लिए प्रयासरत है. बाघ को पकड़ने के लिए चार हाथियों पर बैठकर टीम जंगल में घूम रही है. एक भैंस को भी पेड़ से बांधा गया है ताकि बाघ शिकार के लोभ में बाहर आए और उसपर शिंकजा कसा जा सके. एक्सपर्ट शूटर टेंकुलाइजर लेकर पेड़ पर मचान बनाकर बैठे हुए हैं. लेकिन बाघ भी मानों सबकी होशियारी से वाकिफ हो.
लोगों को अलर्ट किया गया है कि वो जंगल की ओर कतई ना जाएं. दरअसल, बाघ अधिकारियों के साथ भी मानो लुकाछिपी का खेल ही खेल रहा है. वो दिमाग से तेज और शरीर से ताकतवर होता है जिसका फायदा उठा रहा है. शूटर 48 घंटे से अधिक समय से नजर गड़ाए बैठे हैं लेकिन बाघ सामने नहीं आ रहा. तीन दिनों में बाघ के पैर के निशान जंगल के पास ही सरेहों में दिख रहे हैं.
आदमखोर बाघ ने हरनाटांड वन क्षेत्र बैरिया काला व बरवा काला गांव के सरेहों में दो लोगों का शिकार कर चुका है. वहीं चिउटाहा वन क्षेत्र के जिमरी नौतनवा में सुअर-बकरी को भी मार चुका है. लोग अपने पशुओं को घर के अंदर कैद करके रखने पर विवश हैं. बाघ ने अधिकारियों और शूटरों की आंखों में धूल झोंककर अब रघिया के बॉर्डर के पास कदमहवा पंचायत के हरिहरपुर गांव के सरेह में चहलकदमी शुरू की है.